खुश नही हूं... खुश नही हूं...
मैं खुश हूं कल को भूल कर, अपने आज में खुश हूं। मैं खुश हूं कल को भूल कर, अपने आज में खुश हूं।
मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ। मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ।
हर घड़ी हर पहर खुद को ढूंढता हूंँ मैं हर अक्श में हर पहर में खुद से पूछता हूंँ मैं। हर घड़ी हर पहर खुद को ढूंढता हूंँ मैं हर अक्श में हर पहर में खुद से पूछता हूं...
जिन्दगी में मुझे अब ऐसे शख्स कि तलाश नहीं। जिन्दगी में मुझे अब ऐसे शख्स कि तलाश नहीं।
गुमनाम ख़यालों की नज़्में बना मैं गुनगुना रहा हूँ , बड़ी अरसों के बाद खुद से गुफ़्तग गुमनाम ख़यालों की नज़्में बना मैं गुनगुना रहा हूँ , बड़ी अरसों के बाद खुद ...